Monday 19 September 2016

"परिवर्तन - एक नई पहल"


आदरणीय मित्रों नमस्कार,
                                    आप सभी को यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही है कि जल्द ही हम शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शशक्तिकरण के लिए एक गैर सरकारी संगठन (NGO) कि नीव रखने जा रहे हैं जिसका नाम "परिवर्तन - एक नई पहल" होगा | हम आशा करते है कि आप सभी हमारा साथ देंगे | यदि आप हमारी संस्था से जुड़ना चाहते हैं तो आप हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं |
               
                धन्यवाद
                                                                                आपका
                                                                              गौरव सिंह
                                                                            8802286871

Monday 5 September 2016

गुरु का महत्व


गुरु का महत्व कभी होगा न कम ,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम ,
वैसे तो है इन्टरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान ,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान |
नहीं हैं शब्द कैसे करूँ धन्यवाद ,
बस चाहिए हर पल आप सबका आशीर्वाद ,
हूँ जहाँ आज मैं उसमे हैं बड़ा योगदान ,
आप सबका जिन्होंने दिया मुझे इतना ज्ञान |
आपने बनाया है मुझे इस योग्य ,
की प्राप्त करूँ मैं अपना लक्ष्य ,
दिया है हर समय आपने सहारा ,
जब भी लगा मुझे की मैं हारा |
पर मैं हूँ कितना मतलबी ,
याद किया न मैंने आपको कभी ,
आज करता हूँ दिल से आप सब का सम्मान ,
आप सब को है मेरा सत सत प्रणाम |

Thursday 16 June 2016

मेरे सवालों का अच्छा जवाब छोड़ गई


मेरे सवालों का अच्छा जवाब छोड़  गई |
वो मेरी मेज पर अपनी किताब छोड़ गई ||

याद आती हैं मुझको उसकी बातें बहुत |
मेरे जहन मे वो अपने जज्बात छोड़ गई ||

लिख कर मेरी मेज पर गालिब की शायरी |
न जाने दिल के कितने हिसाब छोड़ गई ||

साथ ले गई अपने सारे गुलशन  की खुशबू |
बस मेरी किताब मे एक सूखा गुलाब छोड़ गई||

वो खुद जाकर सो गई सुकून की नींद |
मेरी जगती आँखों मे ख्वाब छोड़ गई ||
#_gaurav

Sunday 29 May 2016

वक्त हमारा है

वक्त हमारा है

हर ओर उम्मीदें हैं, हर ओर सहारा है।
हम बदलेंगें दुनिया को, वक्त हमारा है।।
थपेड़े सह लेगें, लहरों से लड़ लेंगे।
समन्दर हमारा है, साहिल भी हमारा है।।
लाख गहरा हो दरिया, पार उसे कर देंगे।
कश्ती हमारी है, किनारा हमारा है।।
लक्ष्य मुश्किल हो फिर भी, पा उसे हम लेंगे।
तीर हमारा है, निशाना हमारा है।।
वो लाख बुरा खोजता है, खोज ले वो मुझमें।
जिंदगी हमारी है, पैमाना हमारा है।।
हर ओर उम्मीदें हैं, हर ओर सहारा है।
हम बदलेंगें दुनिया को, वक्त हमारा है।।

Monday 16 May 2016

‪#‎_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है‬

#_gaurav
कुछ अजीब सा माहौल हो चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….
ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के छज्ज़ो पर
शोर शराबे से आशियानाअब उनका उजड़ चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..

भुट्टे, चूरन, ककड़ी, इमलीखाते थे कभी हम स्कूल कॉलेजो के प्रांगण में,
अब तो बस मैकडोनाल्ड,पिज़्जाहट और कैफ़े कॉफ़ी डे का दौर चला है।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है...

राजीव चौक, दोस्तों की दुकानों पर रुक कर बतियाते थे दोस्त घंटों तक
अब तो बस शादी, पार्टी या उठावने पर मिलने का ही दौर चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

.वो टेलीफोन के पीसीओ से फोनउठाकर खैर-ख़बर पूछते थे,
अब तो स्मार्टफोन से फेसबुक, व्हाटसऐप और ट्वीटर का रोग चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..।

बस स्टेण्ड में फुलकी भेल, समोसा और लिट्टी का ज़ायका रंग जमाता था 
अब तो सेन्डविच, पिज़्ज़ा, बर्गर और पॉपकॉर्न की और चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

वो साइकिल पर बैठकर दूर अजगरा की डबल सवारी,
कभी होती उसकी,कभी हमारी बारी,
अब तो बस फर्राटेदार बाइक का फैशन चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

जाते थे कभी ट्यूशन पढ़ने श्याम सर के वहाँ,
बैठ जाते थे फटी दरी पर भी पाँव पसार कर ,
अब तो बस ए.सी.कोचिंग क्लासेस का धंधा चल पड़ा है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..

खो-खो, ,क्रिकेट, गुल्लिडंडा, पिटटूल खेलते थे
गलियों और मोहल्लों में कभी,
अब तो न वो बस्ती की गलियाँ रही
न हेलीकॉप्टर ग्राउंड न वो यज्ञ का मैदान,
सिर्फ और सिर्फ कम्प्यूटर गेम्स का दौर चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला हैं…..

मंदिरों में अल-सुबह तक चलते भजन गाने-बजाने के सिलसिले 
अब तो क्लब; पब, और डीजे का वायरल चल पड़ा है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

कन्या हाई स्कूल, बी एन कान्वेंट, की लड़कियों से बात करना तो दूर
नज़रें मिलाना भी मुश्किल था
अब तो बेझिझक हाय ड्यूड,हाय बेब्स का रिवाज़ चल पड़ा है।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

घर में तीन भाइयों में होती थी एकाध साइकिल पिताजी के पास स्कूटर,
अब तो हर घर में कारों और बाइक्स का काफ़िला चल पड़ा है।।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

खाते थे गंगा भईया की मूँगफली,
जुगुल के समोसे, प्रदीप की भेल,
सुरेश की चाय,
अब वहाँ भी चाउमिन, नुडल्स,मन्चूरियन का स्वाद चला हैं
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

कोई बात नहीं;
सब बदले लेकिन मेरे "वाड्रफनगर" के खुश्बू में रिश्तों की गर्मजोशी बरकरार रहे।।
आओ सहेज लें यादों को
वक़्त रेत की तरह सरक रहा है…
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है।।

कभी शिमला मैनपाट में होती थी सुहानी शाम,
बैठ चार यारों के साथ बनाते थे जाम।।
बङे सुहानी लगती थी वो हरियाली।
खेतों की वो लहलहाते फसलें,
बरगद और पीपल के पेङों के छाँव।।
अब वहाँ भी।सिमेंट -कांक्रीट का दौर चल पङा है।।
जमते थे जो बर्फ़,अब वो पिघल पङा है।।
पहले सुनते थे दादी-नानी की कहानी,
अब तातापानी कार्निवाल का दौर चल पङा है।।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है।।

Sunday 1 May 2016

Wadrafnagar


wo "high school" ki shaam, wo "balangi road" ka jaam,
wo "pusp vatika" ki hawa, wo "amit medical" ki dawa,
wo "B.N. Convent" ki item,
wo "Jain dukan" ki "shopping", wo chowk me talking, 
wo "Jugul" ka "samosa", jis par kitna "bharosa" 
wo "thele ki chat", wo "puliya par baat"
wo "girls school" ki sadke, jaha kitne dil dhadke,
kuchh "masti" ki batein...Aesi hai hamari "WADRAFNAGAR" ki Yaadein.....
‪#‎_gaurav‬

Tuesday 26 April 2016

लघुकथा - इंसानियत



#_gaurav

आज चिकन खाने का मन किया तो चिकन लेने गया । वहाँ 6 साल का एक लड़का भी अपने पापा के साथ आया था । 

उसने पापा से पुछा- पापा, क्या अंकल इस मुर्गे को खाना देते हैँ ?

पापा- हाँ, पर वो बहुत कम होता है ।

लड़का- तो क्या ज्यादा भुख लगने पर वो एक-दुसरे को खा जाते हैँ ?

तभी दुकानदार की एक बात ने मुझको, उस 6 साल के लड़के को और उसके पापा को बहुत कुछ सिखा दिया ।

उसने कहा- नहीँ, "अभी इनमेँ इंसानियत खत्म नहीँ हुई है । ये एक दुसरे को नहीँ मारते ।"

#_gaurav

Friday 22 April 2016

Gaurav Thought

#‎_gaurav‬
मज़हब न जात पात का अब फ़ासला रहे।
मैं रहूँ न रहूँ मगर ये काफ़िला रहे।।
हिन्दू हो मुस्लिम हो सिख हो ईसाई।
सबके बीच प्यार का ये सिलसिला रहे।।
करे न गुमान कोई अपनी बुलंदी पर।
जमीं के साथ कोई ऐसा रिश्ता रहे।।
कोई ऐसा इंसान मेरी जिंदगी में भी हो।
जो मुझको मेरी गलतियाँ भी बताता रहे।।
सीखा दे वो सबको नेकी इंसानियत का धर्म।
"गौरव" इस जहान में ऐसा कोई मसीहा रहे।।
‪#‎_gaurav‬

Thursday 21 April 2016

Yaad Aati Hai Mujhko Kuch Batein Purani..

याद आती हैं मुझको कुछ बातें पुरानी ।
कुछ किस्से पुराने कुछ पुरानी कहानी ।।
जाया करते थे सभी हम स्कूल को जब ।
ले जाया करते थे कॉपी किताबें सब ।।
वो लाइन लगाकर साथ करना प्रार्थना ।
याद ना होने पर सिर्फ होंठो को हिलाना ।।
पहली क्लास से शुरू करना शैतानी ।
पर भूलते नही थे अपनी हाज़री लगवानी।।
फिजिक्स की क्लास में न्यूटन के नियम ।
केमिस्ट्री में वो अम्ल क्षार का विलयन ।।
हिंदी के सर का वो किताबें पढ़ाना ।
हमें न कह दे इसलिए छुपना छुपाना ।।
वो मैथ्स के टीचर का मोटा डण्डा ।
जो देते थे टेस्ट में हमेशा ही अण्डा ।।
चलती क्लासेज में कहीं खो जाना ।
दोस्त को उसके लवर के सामने चिढ़ाना ।।
छुट्टी के समय जोर से चिल्लाने में ।
पत्थर पैर से मारकर घर तक लाने में ।।
कुछ ऐसी बीती हमारी बचपन सुहानी ।
कुछ ऐसी ही थी हम सब की कहानी ।।
याद आती हैं मुझको कुछ बातें पुरानी ।
कुछ किस्से पुराने कुछ पुरानी कहानी ।।
-GAURAV SINGH