Sunday 29 May 2016

वक्त हमारा है

वक्त हमारा है

हर ओर उम्मीदें हैं, हर ओर सहारा है।
हम बदलेंगें दुनिया को, वक्त हमारा है।।
थपेड़े सह लेगें, लहरों से लड़ लेंगे।
समन्दर हमारा है, साहिल भी हमारा है।।
लाख गहरा हो दरिया, पार उसे कर देंगे।
कश्ती हमारी है, किनारा हमारा है।।
लक्ष्य मुश्किल हो फिर भी, पा उसे हम लेंगे।
तीर हमारा है, निशाना हमारा है।।
वो लाख बुरा खोजता है, खोज ले वो मुझमें।
जिंदगी हमारी है, पैमाना हमारा है।।
हर ओर उम्मीदें हैं, हर ओर सहारा है।
हम बदलेंगें दुनिया को, वक्त हमारा है।।

Monday 16 May 2016

‪#‎_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है‬

#_gaurav
कुछ अजीब सा माहौल हो चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….
ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के छज्ज़ो पर
शोर शराबे से आशियानाअब उनका उजड़ चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..

भुट्टे, चूरन, ककड़ी, इमलीखाते थे कभी हम स्कूल कॉलेजो के प्रांगण में,
अब तो बस मैकडोनाल्ड,पिज़्जाहट और कैफ़े कॉफ़ी डे का दौर चला है।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है...

राजीव चौक, दोस्तों की दुकानों पर रुक कर बतियाते थे दोस्त घंटों तक
अब तो बस शादी, पार्टी या उठावने पर मिलने का ही दौर चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

.वो टेलीफोन के पीसीओ से फोनउठाकर खैर-ख़बर पूछते थे,
अब तो स्मार्टफोन से फेसबुक, व्हाटसऐप और ट्वीटर का रोग चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..।

बस स्टेण्ड में फुलकी भेल, समोसा और लिट्टी का ज़ायका रंग जमाता था 
अब तो सेन्डविच, पिज़्ज़ा, बर्गर और पॉपकॉर्न की और चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

वो साइकिल पर बैठकर दूर अजगरा की डबल सवारी,
कभी होती उसकी,कभी हमारी बारी,
अब तो बस फर्राटेदार बाइक का फैशन चला है
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

जाते थे कभी ट्यूशन पढ़ने श्याम सर के वहाँ,
बैठ जाते थे फटी दरी पर भी पाँव पसार कर ,
अब तो बस ए.सी.कोचिंग क्लासेस का धंधा चल पड़ा है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…..

खो-खो, ,क्रिकेट, गुल्लिडंडा, पिटटूल खेलते थे
गलियों और मोहल्लों में कभी,
अब तो न वो बस्ती की गलियाँ रही
न हेलीकॉप्टर ग्राउंड न वो यज्ञ का मैदान,
सिर्फ और सिर्फ कम्प्यूटर गेम्स का दौर चला है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला हैं…..

मंदिरों में अल-सुबह तक चलते भजन गाने-बजाने के सिलसिले 
अब तो क्लब; पब, और डीजे का वायरल चल पड़ा है,
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

कन्या हाई स्कूल, बी एन कान्वेंट, की लड़कियों से बात करना तो दूर
नज़रें मिलाना भी मुश्किल था
अब तो बेझिझक हाय ड्यूड,हाय बेब्स का रिवाज़ चल पड़ा है।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

घर में तीन भाइयों में होती थी एकाध साइकिल पिताजी के पास स्कूटर,
अब तो हर घर में कारों और बाइक्स का काफ़िला चल पड़ा है।।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है…

खाते थे गंगा भईया की मूँगफली,
जुगुल के समोसे, प्रदीप की भेल,
सुरेश की चाय,
अब वहाँ भी चाउमिन, नुडल्स,मन्चूरियन का स्वाद चला हैं
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है….

कोई बात नहीं;
सब बदले लेकिन मेरे "वाड्रफनगर" के खुश्बू में रिश्तों की गर्मजोशी बरकरार रहे।।
आओ सहेज लें यादों को
वक़्त रेत की तरह सरक रहा है…
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है।।

कभी शिमला मैनपाट में होती थी सुहानी शाम,
बैठ चार यारों के साथ बनाते थे जाम।।
बङे सुहानी लगती थी वो हरियाली।
खेतों की वो लहलहाते फसलें,
बरगद और पीपल के पेङों के छाँव।।
अब वहाँ भी।सिमेंट -कांक्रीट का दौर चल पङा है।।
जमते थे जो बर्फ़,अब वो पिघल पङा है।।
पहले सुनते थे दादी-नानी की कहानी,
अब तातापानी कार्निवाल का दौर चल पङा है।।
मेरा "वाड्रफनगर" अब बदल चला है।।

Sunday 1 May 2016

Wadrafnagar


wo "high school" ki shaam, wo "balangi road" ka jaam,
wo "pusp vatika" ki hawa, wo "amit medical" ki dawa,
wo "B.N. Convent" ki item,
wo "Jain dukan" ki "shopping", wo chowk me talking, 
wo "Jugul" ka "samosa", jis par kitna "bharosa" 
wo "thele ki chat", wo "puliya par baat"
wo "girls school" ki sadke, jaha kitne dil dhadke,
kuchh "masti" ki batein...Aesi hai hamari "WADRAFNAGAR" ki Yaadein.....
‪#‎_gaurav‬